O Dharti Ke Chand

ओ, धरती के चाँद
लाल मेरे, सो जा, लाल मेरे, सो जा तू
माँ की ममता के आँचल में खो जा तू
माँ की ममता के आँचल में खो जा
ओ, धरती के चाँद

सुनता था तू रोज़ रामायण...
सुनता था तू रोज़ रामायण, ये थी आदत तेरी
एक दिन तूने मुझसे पूछा, "कहाँ है सीता मेरी?"
उस दिन को ना जाना भूल, ओ, मेरे फूल, चैन से सो जा तू

माँ की ममता के आँचल में खो जा तू
माँ की ममता के आँचल में खो जा
ओ, धरती के चाँद

काश मैं होती पवन का झोंका...
काश मैं होती पवन का झोंका, चुपके-चुपके आती
काश मैं बोती फूल की ख़ुशबू, साँसों में बस जाती
और कहती कि दुख मुझे देके, तू सुख मेरे लेके चैन से सो जा तू

माँ की ममता के आँचल में खो जा तू
माँ की ममता के आँचल में खो जा
ओ, धरती के चाँद



Credits
Writer(s): Qamar Jalalabadi, Rajan Pal
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