Dharti Kahe Pukaar Ke (From "Do Bigha Zamin")

भाई रे, गंगा और जमुना की गहरी है धार
आगे या पीछे सब को जाना है पार

धरती कहे पुकार के, बीज बिछा ले प्यार के
मौसम बीता जाए, मौसम बीता जाए
(मौसम बीता जाए, मौसम बीता जाए)
(मौसम बीता जाए, मौसम बीता जाए)

अपनी कहानी छोड़ जा
कुछ तो निशानी छोड़ जा
कौन कहे इस ओर तू फिर आए ना आए
(मौसम बीता जाए, मौसम बीता जाए)
(मौसम बीता जाए, मौसम बीता जाए)

तेरी राह में कलियों ने नैना बिछाए
डाली-डाली कोयल काली तेरे गीत गाए
तेरे गीत गाये

अपनी कहानी छोड़ जा
कुछ तो निशानी छोड़ जा
कौन कहे इस ओर तू फिर आए ना आए
(मौसम बीता जाए, मौसम बीता जाए)
ओ (मौसम बीता जाए, मौसम बीता जाए)

भाई रे, नीला अंबर मुस्काए
हर साँस तराने गाए
हाय, तेरा दिल क्यूँ मुरझाए?

हो-हो-हो-हो, मन की बंसी पे
तू भी कोई धुन बजा ले भाई
तू भी मुस्कुरा ले

अपनी कहानी छोड़ जा
कुछ तो निशानी छोड़ जा
कौन कहे इस ओर तू फिर आए ना आए

भाई रे (मौसम बीता जाए, मौसम बीता जाए)
भाई रे (मौसम बीता जाए)
भाई रे (मौसम बीता जाए)



Credits
Writer(s): Shailendra, Salil Chowdhari
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link