Phool Ahista Phenko

कहा आपका ये बजा ही सही
कि हम बेक़दर, बेवफ़ा ही सही
बड़े शौक़ से जाइए छोड़ कर
मगर सेहन-ए-गुलशन से यूँ तोड़ कर
फूल आहिस्ता फेंको...

फूल आहिस्ता फेंको, फूल बड़े नाज़ुक होते हैं
फूल आहिस्ता फेंको, फूल बड़े नाज़ुक होते हैं
वैसे भी तो ये बद-क़िस्मत नोक पे काँटों की सोते हैं

फूल आहिस्ता...
हाँ, आहिस्ता फेंको, फूल बड़े नाज़ुक होते हैं
फूल आहिस्ता फेंको...

बड़ी ख़ूबसूरत शिकायत है ये
बड़ी ख़ूबसूरत शिकायत है ये
मगर सोचिए, क्या शराफ़त है ये?

जो औरों का दिल तोड़ते रहते हैं
लगे चोट उनको तो ये कहते हैं
तो ये कहते हैं

कि फूल आहिस्ता...
आहिस्ता फेंको, फूल बड़े नाज़ुक होते हैं
जो रुलाते हैं लोगों को, एक दिन ख़ुद भी रोते हैं
फूल आहिस्ता फेंको...

किसी शोख़ को बाग़ की सैर में
किसी शोख़ को बाग़ की सैर में
जो लग जाए काँटा कोई पैर में

ख़फ़ा हुस्न फूलों से हो किस लिए?
ये मासूम है बे-ख़ता इस लिए
बे-ख़ता इस लिए

फूल आहिस्ता...
आहिस्ता फेंको, फूल बड़े नाज़ुक होते हैं
ये करेंगे कैसे घायल? ये तो ख़ुद घायल होते हैं
फूल आहिस्ता फेंको...

गुलों के बड़े आप हमदर्द हैं
गुलों के बड़े आप हमदर्द हैं
भला क्यूँ ना हो, आप भी मर्द हैं

हज़ारों सवालों का है इक जवाब
फ़रेब-ए-नज़र ये ना हो, ऐ जनाब
ये ना हो, ऐ जनाब

फूल आहिस्ता...
आहिस्ता फेंको, फूल बड़े नाज़ुक होते हैं
सब जिसे कहते हैं "शबनम," फूल के आँसू होते हैं
फूल आहिस्ता फेंको, फूल बड़े नाज़ुक होते हैं

फूल आहिस्ता फेंको...



Credits
Writer(s): Laxmikant-pyarelal, Anand Bakshi
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