Aa Raat Jati Hai Chupke Se

आ रात जाती है चुपके से मिल जाएँ दोनों
चल के कहीं अपनी आग में जल जाएँ दोनों

अरे, आप क्यूँ चुप हैं?
आईए, हमारे साथ गाईये ना

मौका भी है आरजू भी, लग जा तू मेरे गले से
रंगीन सी बेखुदी में खो जा मुझे साथ लेके
ये बेक़रारी का मौसम, ये साँस लेता अंधेरा
यूँ दाल ज़ुल्फ़ों के साये फिर ना कभी हो सवेरा

हाथों में ये हाथ लेके मचल जाएँ दोनों
दो रंग जैसे की मिलते हैं मिल जाएँ दोनों
आ रात जाती है चुपके से मिल जाएँ दोनों
चल के कहीं अपनी आग में जल जाएँ दोनों

प्याले में क्या है मुझे तो अपने लबों की पिला दे
बुझ ना सकी जो उम्र भर वो प्यास तू ही बुझा दे
नजदीक तू इतनी आजा, सीने में पड़ जाए हलचल
देके बदन का सहारा, मुझको उड़ाए लिए चल

खो जाएँ ऐसे कि फिर ना संभाल पाएँ दोनों
तड़पे कुछ आज इस तरह कि बहल जाएँ दोनों
आ रात जाती है चुपके से मिल जाएँ दोनों
चल के कहीं अपनी आग में जल जाएँ दोनों



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Rahul Dev Burman
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