O Mere Sanam

हर घड़ी तेरी राह में हूँ
जैसे तेरी पनाह में
तुमको इतना सोचता हूँ क्यूँ?

खींचता है जुनून मुझको
बिन तेरे ना सुकूँ
तुझको इतना चाहता हूँ क्यूँ?

तेरी कशिश का कमाल है
जो इस तरह चाहूँ तुझे
और बढ़े कुछ प्यास मेरी
यार, जब देखूँ तुम्हें

बरस-बरस के भीगूँ मैं तुझमें
तू ज़रा सा भर छलक के
डूबूँ तुझमें, डूबकर मैं जी लूँ १०० जनम

ओ, मेरे सनम, सनम, सनम
नवाज़िश करम, करम, करम
वहाँ मैं रख दूँ अपनी जाँ
रखे तू जिस जगह क़दम

ओ, मेरे सनम, सनम, सनम
नवाज़िश करम, करम, करम
वहाँ मैं रख दूँ अपनी जाँ
रखे तू जिस जगह क़दम

तेरे लहू की हरारतें
मेरे लम्स में घुलने लगी
मुझपे ग़ज़ल की किताब सी
तेरी रौनकें खुलने लगी

वरक़-वरक़ तू पढ़ने दे मुझको
हर फ़िज़ा बनाऊँ तुझे
आ, बाँहों में आ, आ रे, आ रे, यार मोहतरम

ओ, मेरे सनम, सनम, सनम
नवाज़िश करम, करम, करम
वहाँ मैं रख दूँ अपनी जाँ
रखे तू जिस जगह क़दम

तेरे नशे के सुरूर में
तेरे इश्क़ में खोता हुआ
आऊँगा मैं तेरी रूह तक
तेरे जिस्म से होता हुआ

नफ़स-नफ़स समाऊँ मैं तुझमें
ज़िंदगी, तेरी साँसों से मैं इक साँस ले लूँ
और तुझमें, हो, रहूँ मीज़म
ओ, मेरे सनम, सनम, सनम
नवाज़िश करम, करम, करम
वहाँ मैं रख दूँ अपनी जाँ
रखे तू जिस जगह क़दम

ओ, मेरे सनम, सनम, सनम
नवाज़िश करम, करम, करम
वहाँ मैं रख दूँ अपनी जाँ
रखे तू जिस जगह क़दम

हर घड़ी तेरी राह में हूँ
जैसे तेरी पनाह में हूँ
तुमको इतना सोचता हूँ क्यूँ?

खींचता है जूनून मुझको
बिन तेरे ना सुकून मुझको
तुझको इतना चाहता हूँ क्यूँ?



Credits
Writer(s): Shakeel Azmi
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