Dhuan Uttha Hai

धुआँ उठा है कहीं आग जल रही होगी
धुआँ उठा है कहीं आग जल रही होगी
असीर रौशनी बाहर निकल रही होगी
धुआँ उठा है कहीं आग जल रही होगी

ये चारों ओर से आते हुए कईं रस्ते
जब एक दूसरे के जिस्म आ के छूते हैं
कोई तो हाथ मिलाकर निकल गया होगा

किसी की मोड़ पे मंज़िल बदल गईं होगी
धुआँ उठा है कहीं आग जल रही होगी
असीर रौशनी बाहर निकल रही होगी

हरेक रोज़ नया आसमान खुलता है
ख़बर नहीं है कि कल दिन का रंग क्या होगा
पलक से पानी गिरा है तो उसको गिरने दो

कोई पुरानी तमन्ना पिघल रही होगी
धुआँ उठा है कहीं आग जल रही होगी
असीर रौशनी बाहर निकल रही होगी



Credits
Writer(s): Gulzar, Jagjit Singh
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link