Kahan Ja Raha Hai

कहाँ जा रहा है तू, ऐ, जाने वाले?
कहाँ जा रहा है तू, ऐ, जाने वाले?
अँधेरा है मन का, दीया तो जला ले
कहाँ जा रहा है तू, ऐ, जाने वाले?
कहाँ जा रहा है?

ये जीवन सफ़र एक अंधा सफ़र है
ये जीवन सफ़र एक अंधा सफ़र है
बहकना है मुमकिन, भटकने का डर है
बहकना है मुमकिन, भटकने का डर है

सँभलता नहीं दिल किसी के सँभाले
कहाँ जा रहा है तू, ऐ, जाने वाले?
कहाँ जा रहा है?

जो ठोकर ना खाए, नहीं जीत उसकी
जो ठोकर ना खाए, नहीं जीत उसकी
जो गिर के सँभल जाए, है जीत उसकी
जो गिर के सँभल जाए, है जीत उसकी

निशाँ मंज़िलों के ये पैरों के छाले
कहाँ जा रहा है तू, ऐ, जाने वाले?
कहाँ जा रहा है?

कभी ये भी सोचा कि मंज़िल कहाँ है?
कभी ये भी सोचा कि मंज़िल कहाँ है?
बड़े से जहाँ में तेरा घर कहाँ है?
तेरा घर कहाँ है? तेरा घर कहाँ है?

जो बाँधे थे बंधन वो क्यूँ तोड़ डाले?
कहाँ जा रहा है तू, ऐ, जाने वाले?
कहाँ जा रहा है? कहाँ जा रहा है?

कहाँ जा रहा है?
कहाँ जा रहा है?



Credits
Writer(s): Jaikshan Shankar, Gulshan Bawra
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