Lahron Pe Laher

लहरों पे लहर, उल्फ़त है जवाँ
रातों की सहर, चली आओ यहाँ

सितारे टिमटिमाते हैं, तू आजा, आजा
मचलती जा रही ये हवाएँ, आजा, आजा

लहरों पे लहर, उल्फ़त है जवाँ
रातों की सहर, चली आओ यहाँ

सुलगती चाँदनी में थम रही है तुझ पे ये नज़र
क़दम ये किस तरफ़ बढ़ते चले जाते हैं बेख़बर?
ज़माने को हैं भूले हम, आ, चल दें साथ ये सफ़र

लहरों पे लहर, उल्फ़त है जवाँ
रातों की सहर, चली आओ यहाँ

ना जाने कौन सी राहें, हमारा कौन सा है जहाँ
सहारे किस के हम ढूँढें? हमारी मंज़िल है कहाँ?
सदा दिल की मगर कहती है, मेरी दुनिया है यहाँ

लहरों पे लहर, उल्फ़त है जवाँ
रातों की सहर, चली आओ यहाँ



Credits
Writer(s): Shehal Bhatkar, S Ratan
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