Bahubali Bhagwan Ka Mastakabhishek

आइए चलें Shravanabelagola
जहाँ हैं दर्शनीय श्री बाहुबली भगवान
यही तीर्थ है Ravindra Jain के तात्क्षणिक भक्ति रचनाओं का उद्गम स्थान

बाहुबली भगवान का मस्तकाभिषेक
(बाहुबली भगवान का मस्तकाभिषेक)
धन्य-धन्य वे लोग यहाँ जो आज रहे सिर टेक
(धन्य-धन्य वे लोग यहाँ जो आज रहे सिर टेक)

मस्तकाभिषेक
(बाहुबली भगवान का मस्तकाभिषेक)
(हो, मस्तकाभिषेक, महामस्तकाभिषेक)

बीते वर्ष सहस्त्र मूर्ति ये तप की गढ़ी हुई
खड़े तपस्वी का प्रतीक बन तब से खड़ी हुई
(खड़े तपस्वी का प्रतीक बन तब से खड़ी हुई)

श्री चामुण्डराय की माता, इसका श्रेय उन्हीं को जाता
(श्री चामुण्डराय की माता, इसका श्रेय उन्हीं को जाता)
उनके लिए गड़ी प्रतिमा से लाभांवित प्रत्येक

(धन्य-धन्य वे लोग यहाँ जो आज रहे सिर टेक)
मस्तकाभिषेक
(बाहुबली भगवान का मस्तकाभिषेक)
(हो, मस्तकाभिषेक, महामस्तकाभिषेक)

पर्वत पर नर-नार चले, कलशों में नीर भरे
होड़ लगी अभिषेक प्रभु का पहले कौन करे
(होड़ लगी अभिषेक प्रभु का पहले कौन करे)

नीर-क्षीर की बहती धारा, फिर भी ना भीगा तन सारा
(नीर-क्षीर की बहती धारा, फिर भी ना भीगा तन सारा)
ऐसी अन्य विशाल मूर्ति का कहीं नहीं उल्लेख

(धन्य-धन्य वे लोग यहाँ जो आज रहे सिर टेक)
मस्तकाभिषेक
(बाहुबली भगवान का मस्तकाभिषेक)
(हो, मस्तकाभिषेक, महामस्तकाभिषेक)

गोमुटेश का है संदेश, धारो अपरिग्रहवाद
सबकुछ होते, सबकुछ त्यागो, वो भी बिना विषाद
(सबकुछ होते, सब कुछ त्यागो, वो भी बिना विषाद)

भौतिक बल पर मत इतराओ, दया क्षमा की शक्ति बढ़ाओ
(भौतिक बल पर मत इतराओ, दया क्षमा की शक्ति बढ़ाओ)
आतम हित के हेतु हृदय में जागृत करो विवेक

(धन्य-धन्य वे लोग यहाँ जो आज रहे सिर टेक)
मस्तकाभिषेक
(बाहुबली भगवान का मस्तकाभिषेक)
(हो, मस्तकाभिषेक, महामस्तकाभिषेक)

(बाहुबली भगवान का मस्तकाभिषेक)



Credits
Writer(s): Ravindra Jain
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