Yeh Khidki Jo Band Rahti Hai

मेरी दुश्मन है ये, मेरी उलझन है ये
बड़ा तड़पाती है, दिल तरसाती है
ये खिड़की, खिड़की, ये खिड़की
ये खिड़की जो बंद रहती है
ये खिड़की जो बंद रहती है

मेरी दुश्मन है ये, मेरी उलझन है ये
बड़ा तड़पाती है, दिल तरसाती है
ये खिड़की, खिड़की, ये खिड़की
ये खिड़की जो बंद रहती है
ये खिड़की जो बंद रहती है

लगता है मेला ना जाने कहाँ
आशिक़ जमा होते हैं यहाँ
अरे, सबको पता है ये दास्ताँ
इस घर में है एक लड़की जवाँ

"ऑंखें झुका के गुज़रों इस गली से"
आने-जाने वालों से कहती है

ये खिड़की...
ये खिड़की जो बंद रहती है
ये खिड़की जो बंद रहती है

ग़म की घटा है ये छट जाएगी
आहों से दीवार फ़ट जाएगी
जब सामने से ये हट जाएगी
घूँघट में गोरी सिमट जाएगी

इक रोज़ खुल जाएगी टूट के
ये कितनी नज़रों के तीर सहती है

ये खिड़की...
ये खिड़की जो बंद रहती है
ये खिड़की जो बंद रहती है

आए कभी चौबारे में वो
कुछ सोचे मेरे बारे में वो
अरे, बातें करे दो इशारे में वो
चुप से खड़ी है उस किनारे में वो

उस पार वो है और इस पार मैं हूँ
नदियाँ बीच में बहती हैं

ये खिड़की...
ये खिड़की जो बंद रहती है
ये खिड़की जो बंद रहती है

मेरी दुश्मन है ये, मेरी उलझन है ये
बड़ा तड़पाती है, दिल तरसाती है
ये खिड़की, खिड़की, ये खिड़की
ये खिड़की जो बंद रहती है
ये खिड़की जो बंद रहती है



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Laxmikant Pyarelai
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