Chal Sanyasi Mandir Mein

चल सन्यासी मंदिर में
मंदिर में, मंदिर में

चल सन्यासी मंदिर में
तेरा चिमटा, मेरी चूड़ियाँ, दोनों साथ बजाएँगे
साथ-साथ खनकाएँगे

क्यूँ हम जाएँ मंदिर में? पाप है तेरे अंदर में
लेकर माला, कंठ, दोशाला राम-नाम गुन गाएँगे

चल सन्यासी मंदिर में
तेरा चिमटा, मेरी चूड़ियाँ, दोनों साथ बजाएँगे
साथ-साथ खनकाएँगे
चल सन्यासी मंदिर में

रेशम सा ये रूप सलोना
यौवन है या तपता सोना?
ये तेरी मोहन सी मूरत
कर गई मुझपे, हाए, जादू-टोना

कैसा जादू-टोना, सारी मन की ये माया है
अरे, तुझ पर, देवी, किसी रोग की बड़ी विकट छाया है

अरे, चल सन्यासी मंदिर में
तेरा कमंडल, मेरी गगरिया, साथ-साथ छलकाएँगे
साथ-साथ छलकाएँगे

क्यूँ हम जाएँ मंदिर में? पाप है तेरे अंदर में
हम तो जोगी, राम के रोगी, धूनी अलग रमाएँगे

चल सन्यासी मंदिर में

मन से मन का दीप जला ले
मधुर मिलन की जोत जगा ले
पूरण कर ले मेरी आशा
आज मुझे अपना ले, अपना ले

मन से मन का दीप जलाना मुझे नहीं आता है
बस पूजा की जोत जगाना मुझे यही भाता है

हो, चल सन्यासी मंदिर में
मेरा रूप और तेरी जवानी, मिलकर जोत जलाएँगे
मिलकर जोत जलाएँगे

क्यूँ हम जाएँ मंदिर में? पाप है तेरे अंदर में
धरम छोड़ कर, ध्यान छोड़ कर पाप नहीं अपनाएँगे

अरे, चल सन्यासी मंदिर में

प्रेम है पूजा, प्रेम ही पूजन
प्रेम जगत है, प्रेम ही जीवन
मत कर तू अपमान प्रेम का
प्रेम है नाम प्रभू का बड़ा ही पावन

प्रेम-प्रेम करके मुझको कर देगी अब तू पागल
मेरा धीरज डोल रहा है, लाज रखे गंगाजल

चल सन्यासी मंदिर में
तेरी माला, मेरा गजरा, गंगा साथ नहाएँगे
गंगा साथ नहाएँगे

चल सन्यासी मंदिर में
तेरा चिमटा, मेरी चूड़ियाँ, दोनों साथ बजाएँगे
साथ-साथ खनकाएँगे

चल सन्यासी मंदिर में



Credits
Writer(s): Jaikshan Shankar, Sharma Vishweshwar Pandir
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