Mal De Gulal

मल दे गुलाल मोहे
मल दे गुलाल मोहे
आई, होली आई रे

मल दे गुलाल मोहे
मल दे गुलाल मोहे
आई, होली आई रे

चुनरी पे रंग सोहे
चुनरी पे रंग सोहे
आई, होली आई रे

सात रंग, सात सुर आज मिले साथ रे
बजने लगी बाँसुरी, जमने लगी बात रे

ओ, भीगी-भीगी पवन सारी
भीगी-भीगी पवन सारी
कि आई, होली आई रे

मल दे गुलाल मोहे
मल दे गुलाल मोहे
आई, होली आई रे

आज कोई उनको भी भेज दे संदेस रे
राह तके दुल्हनिया जाने को परदेस रे

ओ, आई, आई रे, याद आई
आई, आई रे, याद आई
कि आई, होली आई रे

चुनरी पे रंग सोहे
चुनरी पे रंग सोहे
आई, होली आई रे

गोकुल की गलियों में कभी
कृष्ण कन्हैया भी होली खेलते थे
तब एक ओर होती थी ग्वालबालों की टोली
और सामने से चलती थी गोपियों की ठिठोली



Credits
Writer(s): Indeewar, Nagrath Rajesh Roshan
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