Zindagi Kya Hai Gham Ka Dariya

ज़िंदगी क्या है? ग़म का दरिया है
ना जीना यहाँ बस में, ना मरना यहाँ बस में, अजब दुनियाँ है
ज़िंदगी क्या है?...

हाए रे, वो इंसान के जिस को ग़म की नज़र लग जाए
हाए रे, वो इंसान के जिस को ग़म की नज़र लग जाए
चुपके-चुपके आह भरे और मुँह से ना कुछ कह पाए
दिल अपना हँसता है ख़ुद पर और कभी रोता है, कभी रोता है

ज़िंदगी क्या है? ग़म का दरिया है
ना जीना यहाँ बस में, ना मरना यहाँ बस में, अजब दुनियाँ है
ज़िंदगी क्या है?...

झूठी हैं दुनियाँ की बहारें, रंग हैं सारे कच्चे
झूठी हैं दुनियाँ की बहारें, रंग हैं सारे कच्चे
वक़्त पड़े तो थाम लें दामन, फूल से काँटे अच्छे
इस गुलशन में क़दम-क़दम पर एक नया धोका है, नया धोका है

ज़िंदगी क्या है? ग़म का दरिया है
ना जीना यहाँ बस में, ना मरना यहाँ बस में, अजब दुनियाँ है
ज़िंदगी क्या है?...

जब इंसान अकेला था तो दुख भी ना थे जीवन में
जब इंसान अकेला था तो दुख भी ना थे जीवन में
पाया जब हमराही उस ने, डूब गया उलझन में
ये दुनियाँ है बेगानों की, कौन यहाँ अपना है, यहाँ अपना है?

ज़िंदगी क्या है? ग़म का दरिया है
ना जीना यहाँ बस में, ना मरना यहाँ बस में, अजब दुनियाँ है
ज़िंदगी क्या है?...

जितना अपने ग़म को भुलाना चाहता है इंसान
जितना अपने ग़म को भुलाना चाहता है इंसान
उतना ही बढ़ता है ग़म का सीने में तूफ़ान
ना कोई मंज़िल है दिल की, ना कोई रस्ता है, कोई रस्ता है

ज़िंदगी क्या है? ग़म का दरिया है
ना जीना यहाँ बस में, ना मरना यहाँ बस में, अजब दुनियाँ है
ज़िंदगी क्या है?...



Credits
Writer(s): Ravi, Shakeel Badayuni
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