Gulshan Gulshan Sehra Sehra

इस गाने का मक़्सद?

ग़म की आँधियों से मोहब्बत के चिराग़ नहीं बुझते
दिल टूट सकता है
मुर्दा मोहब्बत के बोझ से अपने नाज़ुक दिल को तोड़ कर
उसकी क़ीमत ना घटाओ, लैला
दिल वो आइना है, जिसकी क़ीमत टूटने के बाद बढ़ती है

लैला, हुस्न की बहारों से मुझे महरूम ना करो
मेरी तमन्नाओं को दिल में जगह दो
मेहमान को वापस नहीं करते हैं
टूटे हुए दिल में मेहमान!
टूटा हुआ दिल जोड़ा जा सकता है, लैला
कौन जोड़ सकता है?
मैं जोड़ सकता हूँ
तुम!

जोड़िए

कसाला, मेरा दिल कहता है कि वो मेरे क़रीब है
शहज़ादी आप!
हाँ, कसाला, बहुत क़रीब
मेरा दिल कभी झूठ नहीं बोलता

(अल्लाह, अल्लाह, अल्लाह)
(अल्लाह, अल्लाह, अल्लाह)

फूलों में तू, जर्ज़ों में तू
दिल में तू ही, मेरे अल्लाह (अल्लाह)
गुलशन-गुलशन, सहरा-सहरा
बरसे जलवे तेरे, अल्लाह (अल्लाह)

(फूलों में तू, जर्ज़ों में तू)
(दिल में तू ही, मेरे अल्लाह, अल्लाह)
(गुलशन-गुलशन, सहरा-सहरा)
(बरसे जलवे तेरे, अल्लाह, अल्लाह)

जलते हुए दिल के ज़ख़्मों को सीने में सजाकर लाया हूँ
जो दाग़ दिए हैं दुनिया ने, वो तुझको दिखाने आया हूँ
प्यार की शम्में लिए हुए, दिल में चरागया किए हुए
आ ही गए दीवाने तेरे, जाम-ए-मोहब्बत पीए हुए

मंज़िल-मंज़िल, महफ़िल-महफ़िल
सुनकर चर्चे तेरे, अल्लाह (अल्लाह)
गुलशन-गुलशन, सहरा-सहरा
बरसे जलवे तेरे, अल्लाह (अल्लाह)

जलने दे इसे या बुझने दे, अब काम तो ये बस तेरा है
रोशन है जो शम्मा हाथों में, ये जलता हुआ दिल मेरा है
इश्क़ की दुनिया मिटे नहीं, शम्म-ए-तमन्ना बुझे नहीं
एक दरे जाना, के सिवा और कहीं सर झुके नहीं

रहमत वाले, इज़्ज़त रख ले
जाऊँ सद पे तेरे, अल्लाह, अल्लाह, अल्लाह (अल्लाह)
गुलशन-गुलशन, सहरा-सहरा
बरसे जलवे तेरे, अल्लाह (अल्लाह)

इंसान हूँ मैं, पत्थर तो नहीं, दिल रखता हूँ मैं भी सीने में
कहने के लिए ज़िंदा हूँ, मगर, कुछ बात नहीं है जीने में
आज मुझे भी ख़ुशी मिले, बिछड़ी हुई ज़िंदगी मिले
औरों को दे-दे दोनों जहाँ, मुझको मोहब्बत मेरी मिले

रोते आएँ, हँसतें जाएँ
बंदे दर से तेरे, अल्लाह (अल्लाह)
गुलशन-गुलशन, सहरा-सहरा
बरसे जलवे तेरे, अल्लाह (अल्लाह)

(अल्लाह, अल्लाह अल्लाह)



Credits
Writer(s): Naushad, Khumar Barabankvi
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