Mere Khwabon Ka

मेरे ख़ाबों का हर एक नक़्श मिटा दे कोई
मेरे ख़ाबों का हर एक नक़्श मिटा दे कोई
सूखे पत्तों का बचा ढेर जला दे कोई
मेरे ख़ाबों का हर एक नक़्श मिटा दे कोई

मेरी पहचान का एक शख़्स इसी शहर में है
मेरी पहचान का एक शख़्स इसी शहर में है
मैं भी ज़िंदा हूँ, ज़रा उसको बता दे कोई
मेरे ख़ाबों का हर एक नक़्श मिटा दे कोई

कुछ तो तनहाई का एहसास मुझे कम होगा
कुछ तो तनहाई का एहसास मुझे कम होगा
मेरे साए से अगर मुझको मिला दे कोई

मेरे ख़ाबों का हर एक नक़्श मिटा दे कोई
सूखे पत्तों का बचा ढेर जला दे कोई
मेरे ख़ाबों का हर एक नक़्श मिटा दे कोई



Credits
Writer(s): / Quadri Kreem
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link