Sansar Hai Ek Nadiya

संसार है एक नदिया, दुख-सुख दो किनारे हैं
ना जाने कहाँ जाएँ, हम बहते धारे हैं
संसार है एक नदिया, दुख-सुख दो किनारे हैं
ना जाने कहाँ जाएँ, हम बहते धारे हैं
संसार है एक नदिया

चलते हुए जीवन की रफ़्तार में एक लय है
चलते हुए जीवन की रफ़्तार में एक लय है
एक राग में, एक सुर में सँसार की हर शय है
...सँसार की हर शय है

एक ताल पे गर्दिश में ये चाँद-सितारे हैं

ना जाने कहाँ जाएँ, हम बहते धारे हैं
हम बहते धारे हैं, हम बहते धारे हैं

संसार है एक नदिया, दुख-सुख दो किनारे हैं
ना जाने कहाँ जाएँ, हम बहते धारे हैं
संसार है एक नदिया

धरती पे अंबर की आँखों से बरसती है
धरती पे अंबर की आँखों से बरसती है
इक रोज़ यही बूँदें फिर बादल बनती है
...फिर बादल बनती है

इस बनने-बिगड़ने के दस्तूर में सारे हैं

ना जाने कहाँ जाएँ, हम बहते धारे हैं
संसार है एक नदिया

कोई भी किसी के लिए अपना ना पराया है
कोई भी किसी के लिए अपना ना पराया है
रिश्तों के उजाले में हर आदमी साया है
...हर आदमी साया है

कुदरत के भी देखो तो ये खेल निराले हैं

ना जाने कहाँ जाएँ, हम बहते धारे हैं
संसार है एक नदिया

है कौन वो दुनिया में ना पाप किया जिसने?
है कौन वो दुनिया में ना पाप किया जिसने?
बिन उलझे काँटों से हैं फूल चुने किसने?
...हैं फूल चुने किसने?

बे-दाग़ नहीं कोई, यहाँ पापी सारे हैं

ना जाने कहाँ जाएँ, हम बहते धारे हैं
संसार है एक नदिया, दुख-सुख दो किनारे हैं
ना जाने कहाँ जाएँ, हम बहते धारे हैं

हम बहते धारे हैं, हम बहते धारे हैं



Credits
Writer(s): Sonik Omi, Abhilash
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