Lamhein Beetey Hue

लम्हे बीते हुए अब जी लूँ फिर से मैं
हम दोनों साथ हों जिनमें
लम्हे जो थे रुके, उठकर चलने लगे
शीशे से दिख गए आँखों में

बहती सारी यादों से बूँदें चुन ली जो मैंने
बरसे तेरे ही ख़्वाब हैं
ख़्वाबों की वो अंगड़ाई और लफ़्ज़ों की गहराई
ठहरे मेरे इन आँखों में

धुँधली राहों पे फिर से हम चलें
यूँ ही हम चलते ही रहें
क़दमों के निशाँ कुछ कहने लगे
उनको हम सुनते ही चलें

लेकर हम उनको जाएँ वहाँ
मंज़िल हमारी हो जहाँ
मिलकर हम दोनों जी लें वहाँ
थम जाए सारा ये जहाँ



Credits
Writer(s): Anurag Godbole
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