Sher Ka Husn Ho

शेर का हुस्न हो, शेर का हुस्न हो, नग़मे की जवानी हो तुम
इक धड़कती हुई, इक धड़कती हुई शादाब कहानी हो तुम
शेर का हुस्न हो...

आँख ऐसी, आँख ऐसी कि कँवल तुम से निशानी माँगे
ज़ुल्फ़ ऐसी, ज़ुल्फ़ ऐसी कि घटा शर्म से पानी माँगे
जिस तरफ़ से भी, जिस तरफ़ से भी नज़र डालें, सुहानी हो तुम
शेर का हुस्न हो...

जिस्म ऐसा, जिस्म ऐसा कि अजंता का अमल याद आए
संग-ए-मरमर में ढला, संग-ए-मरमर में ढला ताजमहल याद आए
पिघले-पिघले, पिघले-पिघले हुए रंगों की रवानी हो तुम
शेर का हुस्न हो...

धड़कनें बुनती हैं जिसको, वो तराना हो तुम
सच कहो, किस के मुक़द्दर का ख़ज़ाना हो तुम?
मुझ पे माएल हो, मुझ पे माइल हो कि दुश्मन की दीवानी हो तुम
शेर का हुस्न हो, नग़मे की जवानी हो तुम

शेर का हुस्न हो
शेर का हुस्न हो



Credits
Writer(s): N/a Khaiyyaam, Ludiavani Sahir
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