Na Koi Umang Hai

ना कोई उमंग है, ना कोई तरंग है
मेरी ज़िंदगी है क्या? एक कटी पतंग है
ना कोई उमंग है, ना कोई तरंग है
मेरी ज़िन्दगी है क्या? एक कटी पतंग है
ना कोई उमंग है...

आकाश से गिरी मैं एक बार कट के ऐसे
आकाश से गिरी मैं एक बार कट के ऐसे
दुनिया ने फ़िर ना पूछो...
दुनिया ने फ़िर ना पूछो, लूटा है मुझको कैसे

ना किसी का साथ है, ना किसी का संग
मेरी ज़िन्दगी है क्या? एक कटी पतंग है
ना कोई उमंग है...

लग के गले से अपने बाबुल के मैं ना रोई
लग के गले से अपने बाबुल के मैं ना रोई
डोली उठी यूँ जैसे...
डोली उठी यूँ जैसे, अर्थी उठी हो कोई

यही दुख तो आज भी मेरे अंग-संग है
मेरी ज़िन्दगी है क्या? एक कटी पतंग है

सपनों के देवता क्या तुझको करूँ मैं अर्पण?
सपनों के देवता क्या तुझको करूँ मैं अर्पण?
पतझड़ की मैं हूँ छाया...
पतझड़ की मैं हूँ छाया, मैं आँसुओं का दर्पन

यही मेरा रूप है, यही मेरा रंग है,
मेरी ज़िन्दगी है क्या? एक कटी पतंग है
ना कोई उमंग है...



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Rahul Burman
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