Sambhal Aye Dil

संभल ऐ दिल
संभल ऐ दिल
तड़पने और तड़पाने से क्या होगा?
जहाँ बसना नहीं मुमकिन वहाँ जाने से क्या होगा?
संभल ऐ दिल

चले आओ...
चले आओ कि अब मुँह फेर के जाने से क्या होगा?
जो तुम पर मिट चुका
उस दिल को तरसाने से क्या होगा?
चले आओ...

हमे संसार में अपना बनाना कौन चाहेगा?
ये मसले फूल से जोबन सजाना कौन चाहेगा?
तमन्नाओं को झूठे ख़्वाब दिखलाने से क्या होगा?
संभल ऐ दिल...
चले आओ...

तुम्हें देखा, तुम्हें चाहा
तुम्हें पूजा है इस दिल ने
जो सच पूछो तो पहली बार कुछ माँगा है इस दिल ने
समझते बूझते अनजान बन जाने से क्या होगा?
चले आओ...
संभल ऐ दिल...

बहुत दिन से थी दिल में अब ज़बाँ तक बात पहुँची है
वहीं तक इसको रहने दो जहाँ तक बात पहुँची है
जो दिल की आँख़री हद है, वहाँ तक बात पहुँची है
बात पहुँची है

जिसे खोना यकीनी है, उसे पाने से क्या होगा?
जहाँ बसना नहीं मुमकिन वहाँ जाने से क्या होगा?
संभल ऐ दिल...
चले आओ...



Credits
Writer(s): N Dutta, Ludiavani Sahir
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