Dekha Ek Khwab (Remix)

मैं और मेरी तन्हाई
अक्सर ये बातें करते हैं

तुम होती तो कैसा होता
तुम ये कहती, तुम वो कहती
तुम इस बात पे हैराँ होती
तुम उस बात पे कितनी हँसती
तुम होती तो ऐसा होता
तुम होती तो वैसा होता

मैं और मेरी तन्हाई
अक्सर ये बातें करते हैं

देखा एक ख़ाब तो ये सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए
देखा एक ख़ाब तो ये सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए

ये गिला है आपकी निगाहों से
फूल भी हों दरमियाँ तो फ़ासले हुए

देखा एक ख़ाब तो ये सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए

ये रात है, ये तुम्हारी ज़ुल्फ़ें ख़ुली हुई हैं
है चाँदनी या तुम्हारी नज़रों से मेरी रातें धुली हुई हैं?
ये चाँद है या तुम्हारा कँगन?
सितारे हैं ये तुम्हारा आँचल
ये पत्तियों की है सरसराहट
कि तुमने चुपके से कुछ कहा है

मेरी साँसों में बसी खुशबू तेरी
ये तेरे प्यार की है जादूगरी
तेरी आवाज़ है हवाओं में
प्यार का रंग है फ़िज़ाओं

धड़कनों में तेरे गीत हैं मिले हुए
क्या कहूँ के शर्म से हैं लब सिले हुए

देखा एक ख़ाब तो ये सिलसिले हुए
फूल भी हों दरमियाँ तो फ़ासले हुए

मैं और मेरी तन्हाई
अक्सर ये बातें करते हैं

तुम होती तो कैसा होता
तुम ये कहती, तुम वो कहती
तुम इस बात पे हैराँ होती
तुम उस बात पे कितनी हँसती
तुम होती तो ऐसा होता
तुम होती तो वैसा होता

मैं और मेरी तन्हाई
अक्सर ये बातें करते हैं

मेरा दिल है तेरी पनाहों में
आ, छुपा लूँ तुझे मैं बाँहों में
तेरी तस्वीर है निगाहों में
दूर तक रोशनी है राहों में

कल अगर ना रोशनी के क़ाफ़िले हुए
प्यार के हज़ार दीप हैं जले हुए

देखा एक ख़ाब तो ये सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए
ये गिला है आपकी निगाहों से
फूल भी हों दरमियाँ तो फ़ासले हुए

देखा एक ख़ाब तो ये सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए

मजबूर ये हालात इधर भी है, उधर भी
तन्हाई की रात इधर भी है, उधर भी
कहने को बहुत कुछ है, मगर, किससे कहें?
कब यूँ ही ख़ामोश रहें और सहें हम?

दिल कहता है दुनिया की हर एक रस्म उठा दें
दीवार जो हम-दोनों में है, आज गिरा दें
क्यूँ दिन में सुलगते रहें, लोगों को बता दें
हाँ, हमको मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत है
अब दिल में यही बात इधर भी है, उधर भी



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Shiv Hari
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