Tumhe Apna Banane Ka

तुम्हें अपना बनाने का जुनूँ सर पे है, कब से है
"मुझे आदत बना लो एक बुरी," कहना ये तुम से है
तुम्हें अपना बनाने का जुनूँ सर पे है, कब से है
सर पे है, कब से है

जिस्म के समंदर में एक लहर जो ठहरी है
उसमें थोड़ी हरकत होने दो
हो, शायरी सुनाती इन दो नशीली आँखों को
मुझको पास आ के पढ़ने दो

इश्क़ की ख़्वाहिशों में
भीग लो बारिशों में, आओ ना

तुम्हें पाकर ना खोने का जुनूँ सर पे है, कब से है
"मुझे नज़रों में रख लो तुम कहीं," कहना ये तुम से है
तुम्हें अपना बनाने का जुनूँ सर पे है, कब से है
सर पे है, कब से है

Hmm, रोकना नहीं मुझको, ज़िद पे आ गई हूँ मैं
इस क़दर दीवानापन चढ़ा
देखो ना यहाँ आ के मेरा हाल कैसा है
टूट के अभी तक ना जुड़ा

अब सँभलना नहीं है
जो भी है वो सही है, आओ ना

तुम्हें खुद से मिलाने का जुनूँ सर पे है, कब से है
"मुझे रहने दो अपने पास ही," कहना ये तुम से है
तुम्हें अपना बनाने का जुनूँ सर पे है, कब से है
सर पे है, कब से है



Credits
Writer(s): Amal Israr Mallik, Rashmi Virag
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