Kabhi Khud Pe Kabhi Halat Pe Rona

कभी खुद पे...

कभी खुद पे, कभी हालात पे रोना आया
कभी खुद पे...
कभी खुद पे, कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर एक बात पे रोना आया
बात निकली तो हर एक बात पे रोना...

हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
हम तो समझे थे...
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को

क्या हुआ आज, ये किस बात पे रोना आया?
क्या हुआ आज, ये किस बात पे रोना आया?
कभी खुद पे, कभी हालात पे रोना...

किस लिए जीते हैं हम?
किस लिए जीते हैं हम?
किस के लिए जीते हैं?

बारहा ऐसे सवालात पे रोना आया
बारहा ऐसे सवालात पे रोना आया
कभी खुद पे...

कौन रोता है किसी और की ख़ातिर, ऐ दोस्त?
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर, ऐ दोस्त?

सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
कभी खुद पे...

कभी खुद पे, कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर एक बात पे रोना आया
कभी खुद पे...



Credits
Writer(s): Jaidev, Ludiavani Sahir
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