Dilbar Dilbar Kahte Kahte Hua Diwana

"दिलबर, दिलबर," कहते-कहते हुआ दीवाना
आँख में मेरी झाँक के देखो, जान-ए-जानाँ
कौन तुम्हारा अपना है और कौन बेगाना?
हो, मेरी जान, ज़रा पहचान
हो, मेरी जान, ज़रा पहचान

दिलबर, दिलबर, सुनते-सुनते हुई दिवानी
हाय रे, किस मंज़िल पे आके रुकी कहानी?
बोल, मेरे दिल, किससे है अब प्रीत निभानी?
फँसी है जान, फँसी है जान
फँसी है जान, फँसी है जान

अब हुस्न इश्क़ का संगम हो जाने दे
आग़ोश में अपनी, जानम, खो जाने दे
ये मेल है दिल से दिल का, कोई खेल नहीं
दो दिल ना अगर मिल जाएँ, वो मेल नहीं

हो, मर गई, मर गई, अब क्या करूँ मैं?
हाय रे मोहब्बत, जियूँ या मरूँ मैं
उससे मिलूँ या इससे मिलूँ मैं? हो
फँसी है जान, फँसी है जान
फँसी है जान, फँसी है जान

ये ज़ुल्फ़ तेरी आवारा, हाय क्या कहना!
मुझे लूट लिया, दिलदारा, हाय क्या कहना!
जो प्यार करे, ये उस का अंदाज़ नहीं
परवाने के जलने में आवाज़ नहीं

हो, कैसी मुश्किल आन पड़ी है?
दोराहे पे प्रीत खड़ी है
किस ज़ालिम से आँख लड़ी है, हो
फँसी है जान, फँसी है जान
फँसी है जान, फँसी है जान

तेरी आँखें हैं या ज़ालिम पैमाने हैं?
तेरी एक बात में लाखों अफ़साने हैं
तू देख ग़ौर से मुझको, तेरा अपना हूँ
हर रात को तू जो देखे वो सपना हूँ

हो, एक है दिल और दो दीवाने
एक शमा और दो परवाने
क्या होगा ये कोई ना जाने, हो
फँसी है जान, फँसी है जान
फँसी है जान, फँसी है जान

"दिलबर, दिलबर," कहते-कहते हुआ दीवाना
अरे, आँख में मेरी झाँक के देखो, जान-ए-जानाँ
कौन तुम्हारा अपना है और कौन बेगाना?
हो, मेरी जान, ज़रा पहचान
फँसी है जान, फँसी है जान

हो, मेरी जान, ज़रा पहचान
फँसी है जान, फँसी है जान



Credits
Writer(s): Qamar Jalalabadi, Anandji V Shah, Kalyanji Virji Shah
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