Kuhu Kuhu Bole Koyalia

कुहू-कुहू बोले कोयलिया
कुहू-कुहू बोले कोयलिया
कुँज-कुँज में भँवरे डोले, गुन-गुन बोले
कुहू-कुहू बोले कोयलिया

सज सिंगार ऋतु आई बसंती
सज सिंगार ऋतु आई बसंती
जैसे नार कोई हो रसवंती

सज सिंगार ऋतु आई बसंती
जैसे नार कोई हो रसवंती

डाली-डाली कलियों को तितलियाँ चूमे
फूल-फूल पंखुड़ियाँ खोलें, अमृत घोलें

कुहू-कुहू बोले कोयलिया

काहे? काहे घटा में बिजली चमके?
काहे घटा में बिजली चमके?
हो सकता है मेघराज ने बादरिया का श्याम-श्याम मुख चूम लिया हो
हो सकता है मेघराज ने बादरिया का श्याम-श्याम मुख चूम लिया हो

चोरी-चोरी मन-पंक्षी उड़े, नैना जुड़े

कुहू-कुहू बोले कोयलिया
कुहू-कुहू बोले कोयलिया
कुँज-कुँज में भँवरे डोले, गुन-गुन बोले
कुहू-कुहू बोले कोयलिया

चंद्रिका देख छाई
दीया, चंद्रिका देख छाई
चंदा से मिल के मन ही मन में मुस्काई, छाई
चंद्रिका देख छाई

शरद सुहावन, मधु मनभावन
शरद सुहावन, मधु मनभावन
बिरही जनों का सुख-सर-सावन
बिरही जनों का सुख-सर-सावन

छाई-छाई पूनम की छटा, घुँघट हटा

कुहू-कुहू बोले कोयलिया

करत रास मनभाए, प्रियतमा
कमल-कमलनी मिले
करत रास मनभाए, प्रियतमा
कमल-कमलनी मिले
करत रास मनभाए

तिरनहार दमके
जल में चाँद चमके
मन कानंद-आनंद डोले
मन कानंद-आनंद डोले रे



Credits
Writer(s): Bharat Vyas, Adi Narayan Rao
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