Mere Mehboob Mujhko Itna Bata

मेरे महबूब
मेरे महबूब

मेरे महबूब, मुझको तू इतना बता
मेरे महबूब, मुझको तू इतना बता
मैं कँवारा मरूँगा या शादी-शुदा?
मैं कँवारा मरूँगा या शादी-शुदा?

ना कँवारा मरे, ना तू शादी-शुदा
ओ, ना कँवारा मरे, ना तू शादी-शुदा
बीच में तुझको लटका के रख दें ख़ुदा
बीच में तुझको लटका के रख दें ख़ुदा

तुम औरत ज़ात हो, ज़ालिम, तुम्हारी ज़ात में चक्कर
तुम औरत ज़ात हो, ज़ालिम, तुम्हारी ज़ात में चक्कर
तुम्हारे दिन में चक्कर है, तुम्हारी रात में चक्कर
हो, चक्रम हूँ कि खाता हूँ तेरी हर बात में चक्कर
कभी ज़ज़्बात चक्कर में, कभी ज़ज़्बात में चक्कर

इन तेरे चक्करों से बचाएँ ख़ुदा
ओ, इन तेरे चक्करों से बचाएँ ख़ुदा
मैं कँवारा मरूँगा या शादी-शुदा?
मैं कँवारा मरूँगा या शादी-शुदा?

ना कँवारा मरे, ना तू शादी-शुदा
ना कँवारा मरे, ना तू शादी-शुदा
बीच में तुझको लटका के रख दें ख़ुदा
बीच में तुझको लटका के रख दें ख़ुदा

हमारे चाहने वाले बड़े रंगीन मिलते हैं
हमारे चाहने वाले बड़े रंगीन मिलते हैं
मोहब्बत से नहीं वाकिफ़, तमाशा-बीन मिलते हैं
अरे, दिलफेंक, हमसे इश्क़ का इज़हार करता है
हमें मालूम हैं, तुझसे टके के तीन मिलते हैं

जिसके तुम ना ख़ुदा, उस का हाफ़िज़ ख़ुदा
ओ, जिसके तुम ना ख़ुदा, उस का हाफ़िज़ ख़ुदा
बीच में तुझको लटका के रख दें ख़ुदा
बीच में तुझको लटका के रख दें ख़ुदा

ओ, मेरे महबूब, मुझको तू इतना बता
मेरे महबूब, मुझको तू इतना बता
मैं कँवारा मरूँगा या शादी-शुदा?
मैं कँवारा मरूँगा या शादी-शुदा?

चली आओगी तुम खींचकर, मैं ऐसा हाल कर दूँगा
चली आओगी तुम खींचकर, मैं ऐसा हाल कर दूँगा
तेरे मयके को ज़ोर-ए-इश्क़ से ससुराल कर दूँगा
अगर बन जाओगी मेरी तो माला-माल कर दूँगा
अगर ठुकराओ तो, बेवफ़ा, कंगाल कर दूँगा
हाँ-हाँ, कंगाल कर दूँगा

तेरी क़िस्मत का आँचल फाड़कर रुमाल कर दूँगा
तेरी क़िस्मत का आँचल फाड़कर रुमाल कर दूँगा
तेरे बंगले को देकर बद-दुआ, मैं चाल कर दूँगा
हाँ-हाँ-हाँ, चाल कर दूँगा

तेरे कूचे में, कूचे में, हैं? आगे क्या था भला? अरे, हाँ, हाँ
तेरे कूचे में पैदा इस तरह भूचाल कर दूँगा
कि देहरादून को मैं वादी-ए-गढ़वाल कर दूँगा
अजी, गढ़वाल कर दूँगा

तेरे बाबा पे अपना ज़ोर इस्तेमाल कर दूँगा
तमाचा एक, तमाचा दो
तमाचे मारकर मैं गाल उसके लाल कर दूँगा
मैं एक दम तैश खाकर ज़िंदगी पामाल कर दूँगा
लगाऊँगा मैं जो ठोकर उसे football कर दूँगा
उसे football कर दूँगा

अगर कुछ भी ना कर पाया तो इतना याद रख, ज़ालिम
तेरे बाबा की, बाबा की, बाबा की, आ!
तेरी बाबा की महफ़िल में मैं भूक-हड़ताल कर दूँगा
भूक-हड़ताल कर दूँगा, भूक-हड़ताल कर दूँगा

लेकिन छोटी सी एक अर्ज़ है
कि चोरी-चोरी खिला देना हलवा ज़रा
हो, चोरी-चोरी खिला देना हलवा ज़रा
मैं कँवारा मरूँगा या शादी-शुदा?
मैं कँवारा मरूँगा, मरूँगा, मरूँगा...



Credits
Writer(s): Qamar Jalalabadi, Anandji V Shah, Kalyanji Virji Shah
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