Kulfi

लगता है कि पिघल गई, मगर नहीं, नहीं, नहीं
वो थी जहाँ, अब है वहीं कुल्फ़ी, कुल्फ़ी
हाँ-हाँ-हाँ, मीठे-मीठे माज़ी की कुल्फ़ी
लगता है कि पिघल गई, मगर नहीं, नहीं, नहीं

हज़ार तंज़ कस गई, हज़ार गाँठ बंध चुकी
खुलेगी ना गठरी कभी ये सोचा था, पर खुल गई

पिघलेगी नहीं वो कभी कुल्फ़ी, कुल्फ़ी
हाँ-हाँ-हाँ, मीठे-मीठे माज़ी की कुल्फ़ी
लगता है कि पिघल गई, मगर नहीं, नहीं, नहीं

जो चल रहा था थम गया, जो थम गया था चल पड़ा
उसी पुरानी राह पे फिर से मैं निकल पड़ा

पुराने सिक्कों से ख़रीद ली कुल्फ़ी, कुल्फ़ी
हाँ-हाँ, मीठे-मीठे माज़ी की कुल्फ़ी
लगता है कि पिघल गई, मगर नहीं, नहीं, नहीं



Credits
Writer(s): Salim-sulaiman Sadruddin, Saumya Joshi
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