Kaun Kahta Hai (Live)

कौन कहता है मुहब्बत की ज़ुबाँ होती है
ये हक़ीक़त तो निगाहों से बयाँ होती है
कौन कहता है मुहब्बत की ज़ुबाँ होती है

वो न आये तो सताती है ख़लिश सी दिल को
वो जो आये तो ख़लिश और जवाँ होती है
ये हक़ीक़त तो निगाहों से बयाँ होती है
कौन कहता है मुहब्बत की ज़ुबाँ होती है

रूह को शाद करे, दिल को जो पुरनूर करे
हर नज़ारे में ये तनवीर कहाँ होती है
ये हक़ीक़त तो निगाहों से बयाँ होती है
कौन कहता है मुहब्बत की ज़ुबाँ होती है

ज़ब्त-एे-सैलाब-एे-मुहब्बत को कहाँ तक रोकें
दिल में जो बात हो आँखों से अयाँ होती है
ये हक़ीक़त तो निगाहों से बयाँ होती है
कौन कहता है मुहब्बत की ज़ुबाँ होती है

ज़िन्दग़ी एक सुलगती-सी चिता है 'साहिर'
शोला बनती है न ये बुझ के धुआँ होती है
ये हक़ीक़त तो निगाहों से बयाँ होती है
कौन कहता है मुहब्बत की ज़ुबाँ होती है



Credits
Writer(s): Jagjit Singh, Sahir Hoshiapuri
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