Khali Khali

खाली-खाली है, नींद सपनों से खाली है
काली-काली है, सुबह भी, साली, काली है

खाली-खाली है, नींद सपनों से खाली है
काली-काली है, सुबह भी, साली, काली है
काँटें ही काँटें हर एक सिलवट
छिलने लगी है हर एक करवट
काँटें ही काँटें हर एक सिलवट
छिलने लगी है...
रोती, बिलखती हुई रात जैसे रुदाली है

खाली-खाली है

आईना जो देखा वक़्त का
तो मेरी शक्ल का कोई और था
डर गया, मैं ख़ुद से डर गया
के मुझको था पता, मैं मर गया

साँसों का इंधन यूँ जल रहा है
दिल का ये पुरज़ा बस चल रहा है
अपने ही कंधे पे ख़ुद लाश अपनी उठा ली है

खाली-खाली है

ज़िंदगी के धोके में मुझे मिली थी जो कभी वो मौत थी
जो लम्हा मैं समझा जी गया वो हर लम्हे की थी बस ख़ुदकुशी

वो वक़्त भी अब तो मर चुका है
वो मुझमें होके गुज़र चुका है
तो साथ अपने ही उसकी चिता भी जलाली है

खाली-खाली है, नींद सपनों से खाली है
काली-काली है, सुबह भी साली काली है

खाली-खाली है, नींद सपनों से खाली है
काली-काली है, सुबह भी साली काली है



Credits
Writer(s): Debojyoti Mishra, Ghalib Asad Bhopali, Joel Dubba
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