Kuchh Na Kaho, Pt. 1

कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो
कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो
क्या कहना है? क्या सुनना है?
मुझको पता है, तुमको पता है

समय का ये पल थम सा गया है
और इस पल में कोई नहीं है
बस एक मैं हूँ, बस एक तुम हो
कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो

कितने गहरे-हलके शाम के रंग है छलके
परबत से यूँ उतरे बादल जैसे आँचल ढलके
कितने गहरे-हलके शाम के रंग है छलके
परबत से यूँ उतरे बादल जैसे आँचल ढलके

और इस पल में कोई नहीं है
बस एक मैं हूँ, बस एक तुम हो
कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो

सुलगी-सुलगी साँसें, बहकी-बहकी धड़कन
महके-महके शाम के साए, पिघले-पिघले तन-मन
सुलगी-सुलगी साँसें, बहकी-बहकी धड़कन
महके-महके शाम के साए, पिघले-पिघले तन-मन

और इस पल में कोई नहीं है
बस एक मैं हूँ, बस एक तुम हो
कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो
क्या कहना है? क्या सुनना है?
मुझको पता है, तुमको पता है

समय का ये पल थम सा गया है
और इस पल में कोई नहीं है
बस एक मैं हूँ, बस एक तुम हो



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Shankar Ehsaan Loy
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link