Pyar Jab Na Diya Zindagi Ne Kabhi

प्यार जब ना दिया ज़िंदगी ने कभी
फिर सितमगर कौन हुआ आदमी या ज़िंदगी?
प्यार जब ना दिया ज़िंदगी ने कभी
फिर सितमगर कौन हुआ आदमी या ज़िंदगी?

जुर्म की है सज़ा, ये तो जाने सभी
जुर्म की है सज़ा, ये तो जाने सभी
कोई मुजरिम क्यों बना, ये नहीं माने कभी

साथ जब ना दिया ज़िंदगी ने कभी
फिर सितमगर कौन हुआ आदमी या ज़िंदगी?

दाग़ लगता रहे, फिर भी जीना पड़े
हो, दाग़ लगता रहे, फिर भी जीना पड़े
ज़िल्लतों, रुसवाइयों का ज़हर भी पीना पड़े

रहम जब ना किया ज़िंदगी ने कभी
फिर सितमगर कौन हुआ आदमी या ज़िंदगी?

वो तो कहता रहा ज़िंदगी के लिए
वो तो कहता रहा ज़िंदगी के लिए
एक मोहब्बत के सिवा कुछ ना मुझको चाहिए

प्यार जब ना दिया ज़िंदगी ने कभी
फिर सितमगर कौन हुआ आदमी या ज़िंदगी?
प्यार जब ना दिया ज़िंदगी ने कभी
फिर सितमगर कौन हुआ आदमी या ज़िंदगी?
...आदमी या ज़िंदगी?



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Rahul Dev Burman
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link