Rikshe Pe Mere Tum Aa Baithe

रिक्शे पे मेरे तुम आ बैठे, अब मेरा हुनर देखो
देता है मज़े कैसे-कैसे अपना ये सफ़र देखो
हो, रिक्शे पे तुम्हारे आ बैठी, खुशियाँ हैं जिधर देखो
ले पहुँची मुझे किस दुनिया में चाहत की लहर देखो

Hey, रिक्शे पे मेरे तुम आ बैठे, अब मेरा हुनर देखो
देता है मज़े कैसे-कैसे अपना ये सफ़र देखो

दुलकी चलूँ मैं, सरपट चलूँ मैं, हर चाल है निराली
निकलूँ इधर से, निकलूँ उधर से, जैसे सुबह की लाली
दुलकी चलूँ मैं, सरपट चलूँ मैं, हर चाल है निराली
निकलूँ इधर से, निकलूँ उधर से, जैसे सुबह की लाली

मैं दिल में तुम्हें देखूँ अपने, तुम सारा शहर देखो
देता है मज़े कैसे-कैसे अपना ये सफ़र देखो
हो, रिक्शे पे तुम्हारे आ बैठी, खुशियाँ हैं जिधर देखो
ले पहुँची मुझे किस दुनिया में चाहत की लहर देखो

(हाए-हाए)
(होय-होय)

(हाए-हाए)

सज-धज के आज, मैं तेरे साथ निकली हूँ उस नगर को
रोके ना कोई, टोके ना कोई, यहाँ प्यार की डगर को
सज-धज के आज, मैं तेरे साथ निकली हूँ उस नगर को
रोके ना कोई, टोके ना कोई, यहाँ प्यार की डगर को

मैं महले दो महले छोड़ आई, मेरा भी जिगर देखो
ले पहुँची मुझे किस दुनिया में चाहत की लहर देखो
रिक्शे पे मेरे तुम आ बैठे, अब मेरा हुनर देखो
देता है मज़े कैसे-कैसे अपना ये सफ़र देखो

है तन पे बोझ, है मन पे बोझ, लेकिन गधा नहीं हूँ
चेहरा फ़कीर, दिल बेनज़ीर, दिल का बुरा नहीं हूँ
है तन पे बोझ, है मन पे बोझ, लेकिन गधा नहीं हूँ
चेहरा फ़कीर, दिल बेनज़ीर, दिल का बुरा नहीं हूँ

क्या कुछ ना बना दे ये मुझको, तुम अपनी नज़र देखो
देता है मज़े कैसे-कैसे अपना ये सफ़र देखो
हो, रिक्शे पे तुम्हारे आ बैठी, खुशियाँ हैं जिधर देखो
ले पहुँची मुझे किस दुनिया में चाहत की लहर देखो



Credits
Writer(s): Shailendra, Jaikshan Shankar
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