Mohabbat (Reprise)

आँख है अभी नम ज़रा सी
ज़िंदगी ढूँढे वजह सी रे (ढूँढे वजह सी रे)
अहसास वो फिर तेरा ग़म भर दे
जब मुझे तू अपना सा कर दे रे

मेरे लफ़्ज़ तू ही, जान भी
मेरा इश्क़ बेईमान भी
सजदे करे इंसान भी
दिखे तुझमें फ़िर जहान भी

जितना सताए उतना रुलाए
हुए तुम पराए जो
अब जो भी चाहे, जितना भी चाहे
फ़िर भी रुलाए वो

मोहब्बत ये हो जाए तो
मोहब्बत ये हो जाए तो
मोहब्बत ये हो जाए तो
मोहब्बत ये हो जाए तो

मोहब्बत ये (हो जाए तो)
मोहब्बत ये (हो जाए तो)

लमहा-लमहा हुआ है मुझसे यूँ अजनबी
जैसे कि ज़िंदगी में ज़िंदगी ही नहीं
नम है ये आँख, गुम है अल्फ़ाज़, खामोश है ज़ुबाँ
छोड़ आई मैं धड़कनों को थी तूने छोड़ा जहाँ

जिसके लिए हों सपने सजाए
वही तोड़ जाए तो
अब जो भी चाहे, जितना भी चाहे
फ़िर भी रुलाए वो

मोहब्बत ये हो जाए तो
मोहब्बत ये हो जाए तो
मोहब्बत ये हो जाए तो
मोहब्बत ये हो जाए तो

मोहब्बत ये हो जाए तो
मोहब्बत ये हो जाए तो
मोहब्बत ये...



Credits
Writer(s): Anwar Bilal Saeed, Bloodline
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