Raat Kitni

रात कितनी दास्तानें
कह रही है
इक नदी यादों की है जो
बह रही है

मिलने आये है हमसे
बीते हुये लम्हे कल के
कितने पहचाने चेहरे
तन्हाई में है झलके

यूँ तो कोई है कहाँ
कोई कहाँ
यादें लेके आई है
सबको यहाँ
रात कितनी दास्तानें
कह रही है

एक माथे पर दमकती एक बिन्दी
एक आँचल जाने क्यूँ लहरा रहा है
घर के दरवाजे पे सुन्दर सी रंगोली
फिर कोई त्योहार मिलने आ रहा है

एक थाली इक कलाई एक राखी
एक मंदिर एक दीपक इक उजाला
रात कितनी दास्तानें
कह रही है

रात कितनी दास्तानें
कह रही है



Credits
Writer(s): Anu Malik, Javed Akhtar
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