Soch Mein Antar (From "Mohalla Assi")

सोच में अंतर कोई नही
फिर राए में अंतर क्यूँ है?
हम जिसको कहते है यूँ है
वो कहते है क्यूँ है?

सोच में अंतर कोई नही
फिर राए में अंतर क्यूँ है?
हम जिसको कहते है यूँ है
वो कहते है क्यूँ है?

मुझको लगता है की
सीड़ी उपर जाती है
उपर देख के कहते है
वो नीचे आती है

सोच में अंतर कोई नही
फिर राए में अंतर क्यूँ है?
हम जिसको कहते है यूँ है
वो कहते है क्यूँ है?

सोच में अंतर कोई नही
फिर राए में अंतर क्यूँ है?
हम जिसको कहते है यूँ है
वो कहते है क्यूँ है?

शांति
शांति ॐ
हा बिन देखे ही, कह देते है
आकाश बड़ा नीला है

हा बादल देख के मैं बोला था

आज बड़ा गीला है

सोच में अंतर कोई नही

मन में होगी बात कोई जो
उनके सिर से निकली
मन में होगी बात कोई जो
उनके सिर से निकली

शांति-शांति सुनती थी वो
साथ के घर से निकली
अरे पोथी छू के बतलाते है
पालक या सरसो है

राहु केतू चंद्र कहाँ क्या
काल शनि बिन है
पंचांग को देख के बतलाते है
रात है या दिन है
अरे कल का व्रत बतलादे तो कहती है
परसो है

सोच में अंतर कोई नही
फिर राए में अंतर क्यूँ है?
हम जिसको कहते है यूँ है
वो कहते है क्यूँ है?

हां सोच में अंतर कोई नही
फिर राए में अंतर क्यूँ है?
हम जिसको कहते है यूँ है
वो कहती है क्यूँ है?



Credits
Writer(s): Gulzar, Amod Bhatt
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