Hungama Hai Kyon

हंगामा है क्यों बरपा थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला चोरी तो नहीं की है।

उस मय से नहीं मतलब दिल जिससे हो बेगाना
मकसूद है उस मय से दिल ही में जो खिंचती है।

उधर ज़ुल्फ़ों में कंघी हो रही है, ख़म निकलता है
इधर रुक रुक के खिंच खिंच के हमारा दम निकलता है।
इलाही ख़ैर हो उलझन पे उलझन बढ़ती जाती है
न उनका ख़म निकलता है न हमारा दम निकलता है।

सूरज में लगे धब्बा फ़ितरत के करिश्मे हैं
बुत हमको कहें काफ़िर अल्लाह की मरज़ी है।

गर सियाह-बख़्त ही होना था नसीबों में मेरे
ज़ुल्फ़ होता तेरे रुख़सार कि या तिल होता।

जाम जब पीता हूँ मुँह से कहता हूँ बिसमिल्लाह
कौन कहता है कि रिन्दों को ख़ुदा याद नहीं।
मय = Wine
ख़म=Curls of the Hhair (ख़म means "Bend " or "Curve", but here can be thought of meaning curls of the hair)
मकसूद = Intended, Proposed
बख़्त = Fate
रिन्द = Drunkard



Credits
Writer(s): Ghulam Ali
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