Dekh Liye Chalbal Jeevan Ka

देख लिए छल बल जीवन के
बदल-बदल के भेष
देख लिए छल बल जीवन के
बदल-बदल के भेष

चल राही चल अब घर अपने
साँझ भई चौ देश
चल राही चल अब घर अपने
साँझ भई चौ देश

जब जागो है तभी सवेरा
कहते हैं सब ज्ञानी

ऊँच, नीच, बीच की कैसी
अद्बुध भई कहानी
ऊँच, नीच, बीच की कैसी
अद्बुध भई कहानी

ऊँच, नीच, बीच की कैसी
अद्बुध भई कहानी
ऊँच, नीच, बीच की कैसी
अद्बुध भई कहानी



Credits
Writer(s): Laxmikant Pyarelal, Aziz Qaisi
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