Yeh Ishq Hai (Female Version)

की कर जले गुल्मोहर जले
आग ना रंग बदले
सावन भादों बुझे नही
जलन जो संग चले ये इश्क़ है

ये इश्क़ है, ये इश्क़ है
ये इश्क़ है, ये इश्क़ है

सूफ़ी के सुलफे की

लाउ उठ के कहती है

आतिश ये बुझ के भी
जलती ये रहती है
ये इश्क़ है, ये इश्क़ है
ये इश्क़ है, ये इश्क़ है

साहिल पे सर रख के
दरिया है सोया है
सदियों से बहता है
आँखों ने बोया है
ये इश्क़ है
ये इश्क़ है
ये इश्क़ है
ये इश्क़ है

तन्हाई धुनता है

परच्छाई बुनता है

रेशम सी नज़रों को
आँखों से सुनता है
ये इश्क़ है
ये इश्क़ है
ये इश्क़ है
ये इश्क़ है

सूफ़ी के सुलफे की, लाउ उठी अल्लाह हू
(अल्लाह हू, अल्लाह हू)
अल्लाह हू, अल्लाह हू
अल्लाह हू
सूफ़ी के सुलफे की लाउ उठी, अल्लाह हू
जलते ही रहना है
बाकी ना मैं ना तू
ये इश्क़ है
ये इश्क़ है
बेखुद सा रहता है
(ये इश्क़ है)
ये कैसा सूफ़ी है
जागे तो तबरेज़ी
बोले तो रूमी
ये इश्क़ है, ये इश्क़ है
ये इश्क़ है, ये इश्क़ है



Credits
Writer(s): Gulzar, Vishal Bhardwaj
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