Kyun (From "Kambakkht Ishq") - Female

क्यूँ फूलों के खिले-खिले रंग उड़ गए?
क्यूँ फूलों के खिले-खिले रंग उड़ गए?
क्यूँ इन दिनों ख़ुद से रहती हूँ मैं ख़फ़ा-ख़फ़ा, ख़फ़ा-ख़फ़ा?
क्यूँ फूलों के खिले-खिले रंग उड़ गए?
ओ, क्यूँ फूलों के खिले-खिले रंग उड़ गए?

जाने कैसे मुलाक़ातों में, यूँ ही ऐसी-वैसी बातों में
करे झूटे-मूटे वादे थे, किसी छोटे से बहाने से
पा के तुझे खो दिया

मेरी ही है ख़ता, मेरी ही है सज़ा
फिर भी दिल कहे, "ये क्यूँ हुआ?"

क्यूँ इन दिनों ख़ुद से रहती हूँ मैं ख़फ़ा-ख़फ़ा, ख़फ़ा-ख़फ़ा?
क्यूँ फूलों के खिले-खिले रंग उड़ गए?

धुआँ-धुआँ सी कहानी है, तभी आँखों में भी पानी है
गालों से ये जो गुज़रती है, तेरे ग़म की निशानी है
मिट सी गई हर दुआ

मेरी ही है ख़ता, मेरी ही है सज़ा
फिर भी दिल कहे, "ये क्यूँ हुआ?"

क्यूँ इन दिनों ख़ुद से रहती हूँ मैं ख़फ़ा-ख़फ़ा, ख़फ़ा-ख़फ़ा?
क्यूँ फूलों के खिले-खिले रंग उड़ गए?
क्यूँ फूलों के खिले-खिले रंग उड़ गए?



Credits
Writer(s): Anu Malik, Anvita Dutt
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