Na Chah Ke Bhi

मना किया था लबों को अपने
के नाम तेरा लें ना कभी
रोका बहुत के ये चेहरा तेरा
ख़्वाबों को अपने दें ना कभी

कुछ नहीं है पहले जैसा
आजकल सब नया है
कुछ अलग सा लग रहा है
ये जो है सिलसिला

ना चाह के भी
ना जाने क्यूँ तेरा हो गया
ना चाह के भी
ना जाने क्यूँ तेरा हो गया, मना किया था

मेरे आगे क्यूँ बिछे हैं इश्कवाले धागे-धागे
उस में लिपटा सा मिल गया, तू मिल गया

सादे-सादे थे इरादे
आधे-आधे जो थे वादे
आके तू इन से क्यूँ जुड़ गया?
जुड़ गया

हाथों में हो हाथ तेरे
तो सफ़र का मज़ा है
जिस सफ़र में तुम ना हो तो
वो महज़ इक सज़ा

ना चाह के भी
ना जाने क्यूँ तेरा हो गया
ना चाह के भी
ना जाने क्यूँ तेरा हो गया

थोड़ा-थोड़ा करते देखो
सारे हुए तुम्हारे हम
मीठे-मीठे होने लगे
पहले तो, हाँ, थे खरे हम

मैं कोरा सा काग़ज़
जिस की स्याही तू ही
पढ़ते हैं सब मुझ को
आओ तुम भी पढ़ो

ना, कभी होता ना था
जाने क्यूँ हो गया

ना चाह के भी
ना जाने क्यूँ तेरा हो गया
ना चाह के भी
ना जाने क्यूँ तेरा हो गया



Credits
Writer(s): Abhendra Kumar Upadhyay, Vishal Mishra
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