Dil Hai Ki Manta Nahin

दिल है कि मानता नहीं
दिल है कि मानता नहीं
मुश्किल बड़ी है रस्म-ए-मोहब्बत
ये जानता ही नहीं

ओ-ओ, दिल है कि मानता नहीं
दिल है कि मानता नहीं
ये बेक़रारी क्यूँ हो रही है?
ये जानता ही नहीं

हो-हो, दिल है कि मानता नहीं
दिल है कि मानता नहीं

दिल तो ये चाहे हर पल तुम्हें
हम बस यूँ ही देखा करें
मर के भी हम ना तुम से जुदा हो
आओ, कुछ ऐसा करें

मुझ में समा जा
आ, पास आजा
हमदम, मेरे हमनशीं

दिल है कि मानता नहीं
दिल है कि मानता नहीं

तेरी वफ़ाएँ, तेरी मोहब्बत
सब कुछ हैं मेरे लिए
तूने दिया है नज़राना दिल का
हम तो हैं तेरे लिए

ये बात सच है
सब जानते हैं
तुम को भी है ये यक़ीं

दिल है कि मानता नहीं
दिल है कि मानता नहीं
मुश्किल बड़ी है रस्म-ए-मोहब्बत
ये जानता ही नहीं

ओ-ओ, दिल है कि मानता नहीं
दिल है कि मानता नहीं



Credits
Writer(s): Sameer
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