Dheere Chal Zara

धीरे चल ज़रा, ओ, पागल पुरवैया, तू काहे शोर मचाए?
तू काहे शोर मचाए?
जिनकी क़िस्मत सो गई उनको कौन जगाए?
धीरे चल ज़रा, ओ, पागल पुरवैया, तू काहे शोर मचाए?

सोने दे बेचारों को, इन क़िस्मत के मारों को
ये वो माँझी, तोड़ चुके जो अपनी पतवारों को
सोने दे बेचारों को, इन क़िस्मत के मारों को, ओ-हो

धीरे चल ज़रा, ओ, पागल नदिया, निंदिया टूट ना जाए
जो नैया में डूब गए उनको कौन बचाए?
धीरे चल ज़रा, ओ, पागल पुरवैया, तू काहे शोर मचाए?

जीवन रैन-बसेरा है, किसका नाम सवेरा है?
हो, जलते हुए चिराग़ों के नीचे घोर अँधेरा है, ओ-हो

धीरे चल ज़रा, ओ, पागल चंदा, सूरज निकल ना आए
जिनके मन का दीप बुझा उनको कौन बचाए?
धीरे चल ज़रा, ओ, पागल चंदा, सूरज निकल ना आए

सूरज निकल ना आए
सूरज निकल ना आए



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Laxmikant Pyarelal
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