Jab Bhi Tanhai Mein Ghabrake

जब भी तनहाई से घबरा के सिमट जाते हैं
जब भी तनहाई से घबरा के सिमट जाते हैं
हम तेरी याद के दामन से लिपट जाते हैं
जब भी तनहाई से घबरा के सिमट जाते हैं

उन पे तूफ़ाँ को भी अफ़सोस हुआ करता है
उन पे तूफ़ाँ को भी अफ़सोस हुआ करता है
वो सफ़ीने जो किनारों पे उलट जाते हैं
वो सफ़ीने जो किनारों पे उलट जाते हैं
हम तेरी याद के दामन से लिपट जाते हैं

हम तो आए थे रहे शाख़ में फूलों की तरह
हम तो आए थे रहे शाख़ में फूलों की तरह
तुम अगर ख़ार समझते हो तो हट जाते हैं
तुम अगर ख़ार समझते हो तो हट जाते हैं
हम तेरी याद के दामन से लिपट जाते हैं



Credits
Writer(s): Jagjit Singh Dhiman, Sudarshan Faakir
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