Bahut Khoobsurat Ghazal

Hmm, बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिख रहा हूँ
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिख रहा हूँ
तुम्हें देख कर आजकल लिख रहा हूँ
हाँ, तुम्हें देख कर आजकल लिख रहा हूँ

बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिख रहा हूँ
तुम्हें देख कर आजकल लिख रहा हूँ
हाँ, तुम्हें देख कर आजकल लिख रहा हूँ

मिले कब, कहाँ, कितने लम्हे गुज़ारे
मिले कब, कहाँ, कितने लम्हे गुज़ारे
मैं गिन-गिन के वो सारे पल लिख रहा हूँ
मिले कब, कहाँ, कितने लम्हे गुज़ारे
मैं गिन-गिन के वो सारे पल लिख रहा हूँ

बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिख रहा हूँ
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिख रहा हूँ
तुम्हें देख कर आजकल लिख रहा हूँ
हाँ, तुम्हें देख कर आजकल लिख रहा हूँ

तुम्हारे जवाँ ख़ूबसूरत बदन को
तराशा हुआ एक महल लिख रहा हूँ
तुम्हारे जवाँ ख़ूबसूरत बदन को
तराशा हुआ एक महल लिख रहा हूँ

बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिख रहा हूँ
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिख रहा हूँ
तुम्हें देख कर आजकल लिख रहा हूँ
हाँ, तुम्हें देख कर आजकल लिख रहा हूँ

ना पूछो मेरी बेक़रारी का आलम
ना पूछो मेरी बेक़रारी का आलम
मैं रातों को करवट बदल लिख रहा हूँ
ना पूछो मेरी बेक़रारी का आलम
मैं रातों को करवट बदल लिख रहा हूँ

बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिख रहा हूँ
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिख रहा हूँ
तुम्हें देख कर आजकल लिख रहा हूँ
हाँ, तुम्हें देख कर आजकल लिख रहा हूँ



Credits
Writer(s): Sameer
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