Aawara Shaam Hai

तू धूप सुनहरी फ़िज़ाओं में
रहती हो मेरी दुआओं में

तू धूप सुनहरी फ़िज़ाओं में
रहती हो मेरी दुआओं में
तेरा नाम जिस लम्हे में लूँ
बेहद मिले आराम है

तेरी ही गलियों में आवारा शाम है
हो, तेरी ही गलियों में आवारा शाम है

तू धूप सुनहरी फ़िज़ाओं में
रहती हो मेरी दुआओं में
तेरा नाम जिस लम्हे में लूँ
बेहद मिले आराम है

तेरी ही गलियों में आवारा शाम है
हो, तेरी ही गलियों में आवारा शाम है

जब तक तेरा चेहरा उतरे ना मेरी आँखों में
तब तक ना मेरी सुबह होती है

हो, जब तक तेरा चेहरा उतरे ना मेरी आँखों में
तब तक ना मेरी सुबह होती है
जब तक तेरी खुशबू बिखरे ना मेरी साँसों में
तब तक धड़कन भी खोई रहती है

तेरी हँसी है निगाहों में
महफ़ूज दिल तेरी बाँहों में
तेरा नाम जिस लम्हे में लूँ
बेहद मिले आराम है

तेरी ही गलियों में आवारा शाम है
हो, तेरी ही गलियों में आवारा शाम है

मेरी नज़र देखो ज़रा
इसमें कहीं है घर तेरा
रस्ता भी तू, मंज़िल भी तू
एक हमसफ़र है बस मेरा

सुबह मेरी और रात भी
डूबी हैं तेरी निगाहों में
तेरा नाम जिस लम्हे में लूँ
बेहद मिले आराम है

तेरी ही गलियों में आवारा शाम है
हो, तेरी ही गलियों में आवारा शाम है



Credits
Writer(s): Shabbir Ahmed, Meet Bros
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