Phir Mohabbat

जब जब तेरे पास में आया, इक सुकून मिला
जिसे मैं था भूलता आया, वोह वजूद मिला
जब आए मौसम घम के, तुझे याद किया
जब सेहम तन्हा पन्न से, तुझे याद किया
दिल, संभाल जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल, येंही रुक जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू

ऐसा क्यूं कर हुआ, जानू ना मैं जानू ना
दिल, संभाल जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल, यें ही रुक जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू

जिस राह पे, है घर तेरा
अक्सर वहां से हमें हूं गुज़रा
शायद यहीं, दिल मेरे रहा
तू मुझको मिल जाए क्या पता
क्या है ये सिलसिला, जानू ना मैं जानू ना
दिल, संभाल जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल, यें ही रुक जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू

कुछ भी नहीं, जब दर्मियान
फिर क्यूं है दिल तेरे ही ख्वाब बुनता
चाहा कि दे, तुझको भुला
पर ये भी ममकिन हो ना सका
क्या है ये मामला, जानू ना मैं जानू ना
दिल, यें ही रुक जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल, यें ही रुक जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल, यें ही रुक जा ज़रा
फिर मोहब्बत करने चला है तू



Credits
Writer(s): Sayeed Quadri
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