Mann Bawra

तनहा-तनहा मैं तो रहने लगा
झूठी-मूठी बातें करने लगा
हर पल सपना तेरा देखा, वो सच होने लगा
गुस्ताख़ियाँ, नादानियाँ हरदम मैं तो करने लगा

मन बावरा होने लगा
तेरी ही बातें करने लगा

(बावरा, बावरा होने लगा)

नए-नए इश्क़ का एहसास ये है
ये रोग ना जाने कहाँ से कैसे लगा
हर पल तुमको पाने की धुन में
दिल ही दिल में मैं तड़पने लगा

मन बावरा होने लगा
तेरी ही बातें करने लगा

आँखें देखने लगी सपने कई
तू मेरे क़रीब है, बस लगता यही
ऐतबार से तुमको चाहने लगा हूँ
सच कहता हूँ, तू है मेरा हमनशीं

मन बावरा होने लगा
तेरी ही बात ये करने लगा



Credits
Writer(s): Raja Pandit
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