Jab Utha Mera Janaza

जब उठा मेरा जनाज़ा, सब लोग आ के रोए
जब उठा मेरा जनाज़ा, सब लोग आ के रोए
मेरी ज़िंदगी के दुश्मन...
मेरी ज़िंदगी के दुश्मन मेरा घर जला के रोए

जब उठा मेरा जनाज़ा, सब लोग आ के रोए
जब उठा मेरा जनाज़ा, सब लोग आ के रोए
मेरी ज़िंदगी के दुश्मन...
मेरी ज़िंदगी के दुश्मन मेरा घर जला के रोए
जब उठा मेरा जनाज़ा, सब लोग आ के रोए

उस बेवफ़ा का मुझ पे एहसान ही बड़ा है
मुझे क़त्ल करके, ज़ालिम, अब दूर क्यूँ खड़ा है?
उसे कह दो मेरी मय्यत...
उसे कह दो मेरी मय्यत को गले लगा के रोए

जब उठा मेरा जनाज़ा, सब लोग आ के रोए
जब उठा मेरा जनाज़ा, सब लोग आ के रोए
मेरी ज़िंदगी के दुश्मन...
मेरी ज़िंदगी के दुश्मन मेरा घर जला के रोए
जब उठा मेरा जनाज़ा, सब लोग आ के रोए

जिनकी मोहब्बतों ने मुझको ये दिन दिखाए
१६ सिंगार करके मेरी लाश पे वो आए
बदनामियों के डर से...
बदनामियों के डर से वो मुँह छुपा के रोए

जब उठा मेरा जनाज़ा, सब लोग आ के रोए
जब उठा मेरा जनाज़ा, सब लोग आ के रोए
मेरी ज़िंदगी के दुश्मन...
मेरी ज़िंदगी के दुश्मन मेरा घर जला के रोए
जब उठा मेरा जनाज़ा, सब लोग आ के रोए

उस बेवफ़ा का हम ने लिखा है नाम दिल पर
मुझे छोड़ा जिसकी ख़ातिर, वो हुआ ना उसका दिलबर
मैं घर लुटा के रोया...
मैं घर लुटा के रोया, वो घर बसा के रोए

जब उठा मेरा जनाज़ा, सब लोग आ के रोए
जब उठा मेरा जनाज़ा, सब लोग आ के रोए
मेरी ज़िंदगी के दुश्मन...
मेरी ज़िंदगी के दुश्मन मेरा घर जला के रोए

जब उठा मेरा जनाज़ा, सब लोग आ के रोए
जब उठा मेरा जनाज़ा, सब लोग आ के रोए
मेरी ज़िंदगी के दुश्मन...
मेरी ज़िंदगी के दुश्मन मेरा घर जला के रोए

जब उठा मेरा जनाज़ा, सब लोग आ के रोए
जब उठा मेरा जनाज़ा, सब लोग आ के रोए



Credits
Writer(s): Nikhil-vinay, Pyam Saeedi
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