Gam Sahati Hai Chup Rahati Hai

फूल से छीन के ख़ुशबू तूने
धूल में उसे मिलाया
अपने चाहने वालों पे, मालिक
ज़ुल्म ये कैसा ढाया?

ग़म सहती है, चुप रहती है, कैसी ये लाचारी है?
ग़म सहती है, चुप रहती है, कैसी ये लाचारी है?
चुप-चुप रहना, सब कुछ सहना, इसका ही नाम तो नारी है
ग़म सहती है, चुप रहती है, कैसी ये लाचारी है?

गहना समझकर तूने पहन ली क्यूँ ज़ंजीरें?
गहना समझकर तूने पहन ली क्यूँ ज़ंजीरें?
ज़ंजीरें कट जाएँ, कर ऐसी तदबीरें

तदबीरें नहीं चलती, चलती हैं तक़दीरें
कर्म लिखा जो हमको मिला वो, ये तक़दीर हमारी है
चुप-चुप रहना, सब कुछ सहना, इसका ही नाम तो नारी है
ग़म सहती है, चुप रहती है, कैसी ये लाचारी है?

फूल थी वो तू, जिसने कभी गुलशन को महकाया
फूल थी वो तू, जिसने कभी गुलशन को महकाया
सावन में भी तुझ पर पतझड़ क्यूँ है छाया?

फूल की ख़ुशबू कोई कब बाँध के रख पाया
फूल कभी सुख के, काँटे कभी दुख के, जीवन वो फुलवारी है
चुप-चुप रहना, सब कुछ सहना, इसका ही नाम तो नारी है
ग़म सहती है, चुप रहती है, कैसी ये लाचारी है?

कैसे देख सकेंगे तेरी आँखों में शबनम?
कैसे देख सकेंगे तेरी आँखों में शबनम?
तेरे हिस्से के मालिक दे दें हमें सब ग़म

दर्द ना बाँटे कोई, क्या तुम और क्या हम
तुम बहार के, मसले ये घर के, सोचो ये भूल तुम्हारी है
चुप-चुप रहना, सब कुछ सहना, इसका ही नाम तो नारी है
ग़म सहती है, चुप रहती है, कैसी ये लाचारी है? कैसी ये लाचारी है?



Credits
Writer(s): Indeevar
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