Naraaz Savera Hai

नाराज़ सवेरा है, हर ओर अँधेरा है
नाराज़ सवेरा है, हर ओर अँधेरा है
कोई किरण तो आए कहीं से, आए, आए

नाराज़ सवेरा है, हर ओर अँधेरा है
कोई किरण तो आए कहीं से, आए, आए
नाराज़ सवेरा है...

ज़िंदगी तन्हाइयों का दर्द है, नाम है
हर ख़ुशी ढलती हुई दुख-भरी शाम है

साँसों के ख़ज़ानों का ये वक़्त लुटेरा है
कोई किरण तो आए कहीं से, आए, आए
नाराज़ सवेरा है...

रात की ख़ामोशियों में अनसुना शोर है
खिंचती बाँधे बिना ही, कौन सी ये डोर है?

बे-जान सलाखों ने मेरी रूह को घेरा है
कोई किरण तो आए कहीं से, आए, आए
नाराज़ सवेरा है...

वो मेरे बचपन का मौसम, वो ज़माना खो गया
मौत के साए में रह के बेज़ुबाँ मैं हो गया

ज़ख़्मों की ज़मीनों पे ज़ुल्मों का बसेरा है
कोई किरण तो आए कहीं से, आए, आए
नाराज़ सवेरा है, हर ओर अँधेरा है
कोई किरण तो आए कहीं से, आए, आए
आए, आए, आए, आए



Credits
Writer(s): Sameer
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